NCERT Solutions Class 10 Hindi CHAPTER 12 PRAHLAD AGARWAL

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Writing responses to the class 10 Hindi questions provided in the exercise might be challenging for students for a number of reasons. One should not omit any NCERT textbook content in order to get the highest possible grade. Use the Swastik Classes’ NCERT answers for Hindi class 10 as a resource. Important exam-based questions are covered in depth in each chapter.

NCERT Solutions Class 10 Hindi CHAPTER 12 PRAHLAD AGARWAL (Textbook Solutions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –
1. ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को ‘सैल्यूलाइड पर लिखी कविता’ क्यों कहा गया है?

उत्तर:- इस फ़िल्म को देखकर कविता जैसी अनुभूति होती थी क्योंकि यह फ़िल्म एक कवि की कोमल भावनाओं की प्रस्तुति थी जिसे फ़िल्म के जरिए उतारा गया था। अत: ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को ‘सैल्यूलाइड पर लिखी कविता’ कहा गया है।

2. ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को खरीददार क्यों नहीं मिल रहे थे?

उत्तर:- यह फ़िल्म एक सामान्य कोटि की मनोरंजक फ़िल्म न होकर एक उच्च कोटि की साहित्यिक फ़िल्म थी। इस फ़िल्म में अनावश्यक मनोरंजक मसाले नहीं डाले गए थे साथ ही फ़िल्म वितरक इस फ़िल्म की करुणा को पैसे के तराजू में तौल रहे थे और कोई जोखिम उठाने को तैयार नहीं थे इसलिए ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को खरीददार नहीं मिल रहे थे।

3. शैलेंद्र के अनुसार कलाकार का कर्तव्य क्या है?

उत्तर:- शैलेन्द्र के अनुसार हर कलाकार का यह कर्तव्य है कि वह दर्शकों की रुचियों को ऊपर उठाने का प्रयास करें न कि दर्शकों का नाम लेकर सस्ता और उथला मनोरंजन उनपर थोपने का प्रयास करे।

4. फिल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरिफाई क्यों कर दिया जाता है?

उत्तर:- फिल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरिफाई इसलिए कर दिया जाता है जिससे कि दर्शकों का भावनात्मक शोषण किया जा सके और उन्हें फ़िल्म देखने के लिए मजबूर और आकर्षित किया जा सके।

5. ‘शैलेंद्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं’ – इस कथन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- राज कपूर वैसे भी आँखों से बात करनेवाले कलाकार माने जाते थे। शैलेन्द्र ने राजकपूर की इन्हीं भावनाओं को अपने गीतों से शब्दों की अभिव्यक्ति प्रदान की। कहने का तात्पर्य यह है कि राजकपूर जो कुछ भी अपनी फिल्मों के माध्यम से कहना चाहते थे उसे गीतकार शैलेन्द्र अपने गीतों के माध्यम से प्रकट कर देते थे।

6. लेखक ने राजकपूर को एशिया का सबसे बड़ा शोमैन कहा है। शोमैन से आप क्या समझते हैं?

उत्तर:- शोमैन ऐसे व्यक्ति को कहते है जो अपने ही जीवनकाल में एक किंदवंती बन चूका हो, जिसका नाम सुनकर ही फ़िल्में बिकती हो और उसका नाम ही दर्शक को सिनेमाघर तक खींच सकता हो। और उनकी सभी फ़िल्में और उनका व्यक्तित्व शोमैन के मानदंडों पर खरी उतरती थी। अत: लेखक ने राजकपूर को एशिया का सबसे बड़ा शोमैन कहा है।

7. फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ के गीत ‘रातों दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति क्यों की?

उत्तर:- फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ के गीत ‘रातों दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति इसलिए की क्योंकि उनके अनुसार साहित्यिक सोच और जनसामान्य की सोच में अंतर होता है इसलिए दर्शक चार दिशाएँ तो जानते हैं परन्तु दसों दिशाओं का ज्ञान सभी को नहीं होगा। जिसके कारण दर्शक और कहानीकार या गीतकार के बीच में उचित तालमेल का अभाव हो रहा था।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –
8. राजकपूर द्वारा फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह करने पर भी शैलेंद्र ने यह फ़िल्म क्यों बनाई?

उत्तर:- राजकपूर जैसे अनुभवी निर्माता-निर्देशक के आगाह करने के बावजूद शैलेन्द्र फ़िल्म बनाना चाहते थे क्योंकि उन्हें धन सम्मान की कामना नहीं थी वे तो केवल अपनी आत्मतुष्टि,अपनी मन की भावनाओं की अभिव्यक्ति और दर्शकों के मन को छूना चाहते थे। इसलिए नफ़ा नुकसान के परे और अपने कलाकार मन के साथ समझौता न करते हुए तीसरीकसम फ़िल्म का निर्माण किया।

9. ‘तीसरी कसम’ में राजकपूर का महिमामय व्यक्तित्व किस तरह हीरामन की आत्मा में उतर गया है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- तीसरी कसम फ़िल्म में हीरामन का किरदार कुछ इस तरह निभाया कि जैसे उन्होंने हीरामन को आत्मसात करते हुए भी अपने आप को उस पर हावी नहीं होने दिया था और कलाकार की यह सबसे बड़ी उपलब्धि होती है। राजकपूर ने हीरामन गाड़ीवान का भोलापन, हीराबाई में अपनापन खोजना, उसकी उपेक्षा पर अपने ही आप से जूझना आदि को बड़ी ही खूबसूरती से पेश किया है।

10. लेखक ने ऐसा क्यों लिखा है कि ‘तीसरी कसम’ ने साहित्य-रचना के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है?

उत्तर:- तीसरी कसम एक शुद्ध साहित्यिक फ़िल्म थी। इस कहानी के मूल स्वरुप में जरा भी बदलाव नहीं किया गया था। शैलेन्द्र ने इस फ़िल्म में दर्शकों के लिए किसी भी प्रकार के काल्पनिक मनोरंजन को जबरदस्ती ठूँसा नहीं गया था। इस फ़िल्म ने कहानी की मूल आत्मा अर्थात् भावुकता के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया था इसलिए लेखक ने ऐसा लिखा है कि ‘तीसरी कसम’ ने साहित्य-रचना के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है।

11. शैलेंद्र के गीतों की क्या विशेषताएँ हैं? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर:- शैलेन्द्र एक भावनात्मक और आदर्श कवि होने के कारण उनके गीत सरल, सहज, संदेशात्मक और मन को छूनेवाले होते थे। उनके गीतों में गहराई के साथ आम आदमी से जुड़ाव भी होता था। जैसा उनका व्यक्तित्व सीधा और सरल था वैसे ही उनकी गीत रचनाएँ भी कठिनता से कोसों दूर होती थी।

12. फ़िल्म निर्माता के रूप में शैलेंद्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

उत्तर:- तीसरी कसम फ़िल्म निर्माता के रूप में शैलेन्द्र की पहली और अंतिम फ़िल्म थी। यह फ़िल्म उन्होंने बिना किसी व्यावसायिक लाभ, प्रसिद्धि की कामना न करते हुए केवल अपनी आत्मसंतुष्टि के लिए बनाई थी। उनके सीधे-साधे व्यक्तित्व की छाप उनकी फ़िल्म के किरदार हीरामन में बखूबी दिखाई देती है। शैलेन्द्र फ़िल्म निर्माण के खतरों से परिचित होकर भी एक शुद्ध साहित्यिक फ़िल्म का निर्माण कर अपने साहसी होने का परिचय दिया है। सिद्धांतवादी होने के कारण उन्होंने अपनी फ़िल्म में कोई भी परिवर्तन स्वीकार नहीं किया।

13. शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फ़िल्म में झलकती है – कैसे? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- शैलेन्द्र अपने जीवन में सीधे-सरल, व्यावसायिकता से कोसों दूर, सिद्धांतवादी व्यक्ति थे। यही सब बातें उनकी इस फ़िल्म में भी झलकती है। जिस प्रकार शांत नदी का प्रवाह और समुद्र की गहराई उनके जीवन की विशेषता थी वही सब विशेषताएँ उनके सीधे-साधे, धन से कोसों दूर, प्रेम को ही अपना सर्वस्व समझना आदि फ़िल्म के किरदार हीरामन में बखूबी दिखाई देते हैं।

14. लेखक के इस कथन से कि ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म कोई सच्चा कवि हृदय ही बना सकता था, आप कहाँ तक सहमत हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- मैं लेखक के विचार से पूरी तरह सहमत हूँ क्योंकि इस फ़िल्म को देखकर कविता जैसी अनुभूति होती ही है। यह फ़िल्म कवि शैलेन्द्र की कोमल भावनाओं की प्रस्तुति थी जिसे फ़िल्म के जरिए उतारा गया था। ‘तीसरी कसम’ जैसी संवेदनशील और भावनात्मक अनुभूति देने वाली फ़िल्म वही बना सकता था जो इन सभी भावनाओं से ओतप्रेत हो।

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –
15. वह तो एक आदर्शवादी भावुक कवि था, जिसे अपार संपत्ति और यश तक की इतनी कामना नहीं थी जितनी आत्मसंतुष्टि के सुख की अभिलाषा थी।

उत्तर:- इस पंक्ति का यह आशय है कि कवि शैलेन्द्र अति भावुक और संवेदनशील कवि थे। उन्हें धन सम्मान की कामना नहीं थी वे तो केवल अपनी आत्मतुष्टि, अपने मन की भावनाओंकी अभिव्यक्ति और दर्शकों के मन को छूना चाहते थे। इसलिए नफ़ा नुकसान के परे और अपने कलाकार मन के साथ समझौता न करते हुए तीसरी कसम फ़िल्म का निर्माणकिया।

16. उनका यह दृढ़ मंतव्य था कि दर्शकों की रुचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए। कलाकार का यह कर्तव्य भी है कि वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे।

उत्तर:- इस पंक्ति का आशय यह है कि कवि शैलेन्द्र का यह मानना था कि हर कलाकार का यह कर्तव्य है कि वह दर्शकों की रुचियों को ऊपर उठाने का प्रयास करें न कि दर्शकों का नाम लेकर सस्ता और उथला मनोरंजन उनपर थोपने का प्रयास करे।

17. व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती, उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है।

उत्तर:- इस पंक्ति का आशय यह है कि जीवन में आई हुई कठिनाईयों का सामना करते हुए हमें आगे बढ़ना चाहिए। जिंदगी में दुःख, कष्ट और तकलीफें आती रहती है परन्तु हमें उनसे हार न मानकर साहसपूर्वक उसका सामना करना चाहिए।

18. दरअसल इस फ़िल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने वाले की समझ से परे है।

उत्तर:- इस पंक्ति का आशय यह है कि इस तरह की फ़िल्में जो नितान्त भावुकता से बनाई जाती है उसे शुद्ध व्यवसायिक लोग जो केवल हर चीज से धन अर्जित करने की कामना रखते हैं,नहीं समझ सकते।

19. उनके गीत भाव-प्रवण थे- दुरूह नहीं।

उत्तर:- इस पंक्ति का आशय यह है कि कवि शैलेन्द्र के गीत भावनाओं से भरे, सीधे और सरल होते थे। वे गहरे भावों से भरे होकर भी कठिन नहीं होते थे। उनके गीतों में भावुकता और सरलता का सही तालमेल रहता था।

• प्रश्न-अभ्यास (मौखिक)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –
20. ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को कौन-कौन-से पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है?

उत्तर:- राष्ट्रपति स्वर्णपदक, बंगाल फ़िल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का पुरूस्कार और मास्को फ़िल्म फेस्टिवल पुरूस्कार से ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को सम्मानित किया गया है।

21. शैलेंद्र ने कितनी फिल्में बनाईं?

उत्तर:- शैलेंद्र ने अपने जीवन काल में केवल एक ही फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ बनाई थी।

22. राजकपूर द्वारा निर्देशित कुछ फिल्मों के नाम बताइए।

उत्तर:- मेरा नाम जोकर, सत्यम शिवम् सुन्दरम, संगम, प्रेमरोग, अजंता, जागते रहो, मैं और मेरा दोस्त आदि राजकपूर द्वारा निर्देशित कुछ फिल्मों के नाम हैं।

23. ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म के नायक व नायिकाओं के नाम बताइए और फ़िल्म में इन्होंने किन पात्रों का अभिनय किया है?

उत्तर:- ‘तीसरी कसम’ के नायक राजकपूर और नायिका वहीदा रहमान थीं। राजकपूर ने इस फ़िल्म में ‘हीरामन’ गाड़ीवान का किरदार और वहीदा रहमान द्वारा नौटंकी कलाकार ‘हीराबाई’ का किरदार निभाया गया था।

24. फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण किसने किया था?

उत्तर:- ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म का निर्माण गीतकार शैलेन्द्र ने किया था।

25. राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ के निर्माण के समय किस बात की कल्पना भी नहीं की थी?

उत्तर:- राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ के निर्माण के समय इस बात की कल्पना भी नहीं की थी कि इस फ़िल्म के एक भाग को बनाने में ही छह साल का समय लग जाएगा।

26. राजकपूर की किस बात पर शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया?

उत्तर:- ‘तीसरी कसम’ की कहानी सुनते जब राजकपूर ने फ़िल्म में काम करने के लिए अपना पारिश्रमिक एडवांस में माँगने की बात की तब शैलेन्द्र का चेहरा मुरझा गया।

27. समीक्षक राजकपूर को किस तरह का कलाकार मानते थे?

उत्तर:- समीक्षक राजकपूर को कला मर्मज्ञ तथा आँखों से बात करनेवाला कलाकार मानते थे।

• भाषा-अध्ययन
28. पाठ में आए ‘से’ के विभिन प्रयोगों से वाक्य की संरचना को समझिए।
(क) राजकपूर ने एक अच्छे और सच्चे मित्र की हैसियत से शैलेंद्र को फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह भी किया।
(ख) रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ।
(ग) फ़िल्म इंडस्ट्री में रहते हुए भी वहाँ के तौर-तरीकों से नावाकिफ थे।
(घ) दरअसल इस फ़िल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने के गणित जानने वाले की समझ से परे थी।
(ङ) शैलेंद्र राजकपूर की इस याराना दोस्ती से परिचित तो थे।

उत्तर:- (क) राजकपूर ने एक अच्छे और सच्चे मित्र की हैसियत से शैलेंद्र को फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह भी किया।
(ख) रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ।
(ग) फ़िल्म इंडस्ट्री में रहते हुए भी वहाँ के तौर-तरीकों से नावाकिफ थे।
(घ) दरअसल इस फ़िल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने के गणित जानने वाले की समझ से परे थी।
(ङ) शैलेंद्र राजकपूर की इस याराना दोस्ती से परिचित तो थे।

29. इस पाठ में आए निम्नलिखित वाक्यों की संरचना पर ध्यान दीजिए –
(क) ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म नहीं, सैल्यूलाइड पर लिखी कविता थी।
(ख) उन्होंने ऐसी फ़िल्म बनाई थी जिसे सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था।
(ग) फ़िल्म कब आई, कब चली गई, मालूम ही नहीं पड़ा।
(घ) खालिस देहाती भुच्च गाड़ीवान जो सिर्फ दिल की जुबान समझता है, दिमाग की नहीं।

उत्तर:- इस पाठ में आए निम्नलिखित वाक्यों की संरचना पर ध्यान दीजिए
(क) ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म नहीं, सैल्यूलाइड पर लिखी कविता थी।
(ख) उन्होंने ऐसी फ़िल्म बनाई थी जिसे सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था।
(ग) फ़िल्म कब आई, कब चली गई, मालूम ही नहीं पड़ा।
(घ) खालिस देहाती भुच्च गाड़ीवान जो सिर्फ दिल की जुबान समझता है, दिमाग की नहीं।

30. पाठ में आए निम्नलिखित मुहावरों से वाक्य बनाइए –
चेहरा मुरझाना, चक्कर खा जाना, दो से चार बनाना, आँखों से बोलना

उत्तर:-

मुहावरेवाक्य
चेहरा मुरझानापिताजी द्वारा जन्मदिन का उपहार न लानेपर रोहित का चेहरा मुरझा गया।
चक्कर खा जानापरीक्षा का परिणाम सुनकर रोहन कोचक्कर आ गया।
दो से चार बनानाआजकल हर कोई दो से चार बनाने कीफ़िराक में ही रहता है।
आँखों से बोलनाप्रेम की भाषा आँखों से व्यक्त की जासकती है।

31. निम्नलिखित शब्दों के हिंदी पर्याय दीजिए –
(क) शिद्दत……………… (ङ) नावाकिफ ……………..
(ख) याराना……………… (च) यकीन ……………..
(ग) बमुश्किल…………….. (छ) हावी ……………..
(घ) खालिस……………… (ज) रेशा ……………..

उत्तर:- (क) शिद्दत – तीव्रता (ङ) नावाकिफ – अपरिचित, अनजान
(ख) याराना – दोस्ती, मित्रता (च) यकीन – विश्वास
(ग) बमुश्किल – कठिनाई से (छ) हावी – दवाब, भारी
(घ) खालिस – शुद्ध (ज) रेशा – बारीक कण, तंतु

32. निम्नलिखित का संधिविच्छेद कीजिए –
(क) चित्रांकन …………..+……………
(ख) सर्वोत्कृष्ट ………….+……………
(ग) चर्मोत्कर्ष …………..+……………
(घ) रूपांतरण ……………+………….
(ङ) घनानंद ……………+……………

उत्तर:- (क) चित्रांकन = चित्र + अंकन
(ख) सर्वोत्कृष्ट = सर्व + उत्कृष्ट
(ग) चर्मोत्कर्ष = चरम + उत्कर्ष
(घ) रूपांतरण = रूप + अंतरण
(ङ) घनानंद = घन + आनंद

33. निम्नलिखित का समास विग्रह कीजिए और समास का नाम भी लिखिए –
(क) कला मर्मज्ञ ……………
(ख) लोकप्रिय ……………
(ग) राष्ट्रपति ……………

उत्तर:-

कला मर्मज्ञकला के मर्मज्ञतत्पुरुष समास
लोकप्रियलोक में प्रियतत्पुरुष समास
राष्ट्रपतिराष्ट्र का पतितत्पुरुष समास

Conclusions for NCERT Solutions Class 10 Hindi CHAPTER 12 PRAHLAD AGARWAL

 An academic team of knowledgeable members of SWC has produced and published the NCERT Solutions for class 10’s Hindi chapter for your use as a reference. You can get answers to all of the chapters of the NCERT Hindi class 10 here at SWC. Please make use of the following NCERT answers that were created by SWC as a reference for this chapter. In addition to that, study the chapter’s theory before attempting to solve the NCERT problems.

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